
ज्वालामुखी भूपटल पर वह प्राकृतिक छेद या दरार है जिससे होकर पृथ्वी के अन्दर का मैग्मा पिघला हुआ या अर्ध-पिघला हुआ प्राकृतिक पदार्थ , गैस या भाप, राख इत्यादि बाहर निकलते हैं. पृथ्वी के अन्दर का पिघला पदार्थ, जो ज्वालामुखी से बाहर निकलता है, लावा (Lava) कहलाता है. यह बहुत ही गर्म,तरल और लाल रंग का होता है. लावा जमकर ठोस और काला हो जाता है जो बाद में जाकर ज्वालामुखी-चट्टान के नाम से जाना जाता है.जिससे सभी आग्नेय चट्टानें(Igneous Rock) बनती हैं।
नीचे दिए गए चित्र के माध्यम से समझने का प्रयत्न करते है |

ज्वालामुखी तीन प्रकार के होते है |
- सक्रिय ज्वालामुखी(Active Volcano)
- शांत या सुषुप्त ज्वालामुखी(Dormant Volcano)
- मृत ज्वालामुखी(Extinct Volcano)
सक्रिय ज्वालामुखी(Active Volcano)– वे ज्वालामुखी होते है जिनमे हमेशा उद्गार होता रहता है अर्थात फटते रहते है |
उदाहरण, इक्वाडोर का “कोटोपैक्सी”(विश्व का सबसे ऊँचा) इटली का एट्ना, भूमध्य सागर का स्ट्राम्बोली,अंटार्टिका का एकमात्र “एरबुस” और भारत का एकमात्र “बैरन” (नारकोंडम द्वीप ,अंडमान )
शांत ज्वालामुखी(Dormant Volcano)– वे ज्वालामुखी होते है जो बहुत ही लम्बे अंतराल के बाद फटते है ये अंतराल सैकड़ो वर्षो से हजारों वर्षो तक का हो सकता है |
उदाहरण, इटली का विसुवियस, जापान का Mt. फ़्युजियामा(हाल ही वैज्ञानिको के जारी एक रिपोर्ट में इसके फटने की संभावना जताई गयी है |)
मृत ज्वालामुखी(Extinct Volcano)- वे ज्वालामुखी होते है जिनमे हजारों वर्षो से कोई उद्गार नहीं हुआ हो और निकट भविष्य में भी उद्गार की कोई संभावना न हो |
केन्या का Mt. किलिमंजारो,इक्वाडोर का चिम्बोराजो,म्यंमार का पोपा और एंडीज पर्वतमाला पर स्थित एकांकागुआ |

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