मौर्य प्रशासन के बारे में जानकारी इतिहास के कई स्रोतों से मिलती है जिनमे साहित्यिक स्रोत प्रमुख है आइये देखते है कि वे स्रोत कौन-कौन से है |
विष्णुपुराण में नन्द वंश की उत्पत्ति और उनके साम्राज्य के बारे में वर्णन मिलता है
बौद्ध साहित्य के अशोकावदान और दिव्यावदान में अशोक का जीवन चरित वर्णन है
श्रीलंकाई ग्रन्थ, दीपवंश और महावंश में अशोक का वर्णन मिलता है
जैन साहित्य“स्थविरावली” में चन्द्रगुप्त मौर्य का उल्लेख है जो हेमचन्द्र द्वारा लिखा गया है
कौटिल्य का अर्थशास्त्र मौर्य साम्राज्य का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है।
Chankya
कल्हण की राजतरंगिणी में भी मौर्य प्रशासन का उल्लेख है
इसके अलावा विशाखदत्त द्वारा रचित मुद्राराक्षस और मेगस्थनीज़ की इंडिका मौर्य प्रशासन के महत्वपूर्ण स्रोत है
कौटिल्य या विष्णुगुप्त चाणक्य ने प्रशासन के सप्तांग सिद्धांत दिए थे
1-सम्राट
2-अमात्य (मंत्री)
3-जनपद(क्षेत्र और जनसंख्या)
4-दुर्ग(किला)
5-कोष
6-बल (सेना)
7-मित्र
राजा के सलाह के लिए मंत्रिपरिषद होती थी तथा यह एक बड़ी संस्था होती थी जिसमे विभिन्न विभागों के मंत्री होते थे मंत्रिपरिषद के सदस्यों का वार्षिक वेतन 48000 पण होता था कौटिल्य ने कुल 32 विभाग बताये थे
प्रशासन में जासूस भी होते थे
एक ही जगह पर रह कर जासूसी करने वाले गुप्तचरों को संस्था कहा जाता था
जो जासूसी करने अन्य जगहों पर जाते थे उन्हें संचरा कहा जाता था
गुप्तचर बनाने हेतु उपधा परीक्षा पास करनी पड़ती थी
इसमें सन्यासी, विद्यार्थी, गृहस्थ तथा विषकन्याएं होती थी
सैन्य विभाग का प्रधान सेनापति होता था ,सेनापति को 48000 पण वार्षिक वेतन मिलता था युद्ध क्षेत्र में सेना का संचालन करने वाला पदाधिकारी “नायक” कहलाता था
सेना संचालन के लिए 30 सदस्यीय समिति होती थी जो 6 उपसमितियों में बनती होती थी जिसमे 5 -5 सदस्य होते थे ये उपसमितियाँ थी नौसेना युद्धसामग्री अश्वारोही पैदल रथ हाथी
न्यायालय विभाग के दो प्रकार थे धर्मस्थीय (दीवानी न्यायलय ) कंटकशोधन (फौजदारी) मुख्य न्यायाधीश को “धर्माधिकारिन” कहा जाता था
राजस्व वसूली के मुख्य न्यायाधिकारी को समाहर्ता कहा जाता था राजकोष के प्रधान को सन्निधाता कहा जाता था सिंचाई भूमि से उपज का 1/5 भाग से 1/3 भाग तक लिया जाता था
BRIP(Building Respect for IP) विश्व बौद्धिक सम्पदा अधिकार संगठन(WIPO) की परियोजना है ,यह कॉपीराइट का उल्लंघन करने वाली वेबसाइटों की एक बड़ी ब्लैक लिस्ट का संयोजन करके वैश्विक स्तर पर ऑनलाइन पाइरेसी को कम करने की सम्भावना प्रदान करती है|
पोवेही– हल ही में इवेंट होराइजन नामक खगोलदर्शी से ढूंढे गए ब्लैक होल(M-87) को पोवेही नाम दिया गया है
M-87 first ever pic of a Black Hole
UNNATI – यह एक नैनोसेटलाइट कार्यक्रम है| (Unispace Nanosatellite Assembly and Training by ISRO )
ट्रिपल बिलियन लक्ष्य(Tripple Billion Target) -WHO द्वारा संचालित है
“तुलागी द्वीप” प्रशांत महासागर में है|
“TIR कन्वेंशन” यह एक अंतर्राष्ट्रीय पारगमन प्रणाली है |
“नॉर्मैंडी फॉर्मेट” -यह जर्मनी,रूस,यूक्रेन और फ्रांस का एक राजनयिक समूह है|
“पेरिस कॉल” -यह Cyber सुरक्षा से सम्बंधित है |
कार्बन क्वांटम डॉट्स(Carbon Quantum Dots) -मानव शरीर में कैंसर कोशिकाओं का पता लगाने के लिए नैदानिक उपकरण
“अवेयर(Aware)” नामक ऑनलाइन टूल -बढ़ती प्रतिजैविक प्रतिरोधकता को नियंत्रित करने हेतु विश्व स्वस्थ्य संगठन(WHO) द्वारा विकसित एक उपकरण है|
“पिंगुली चित्रकथी कला” -महाराष्ट्र
“प्रोजेक्ट MANAV” -मानव शरीर के प्रत्येक ऊतक के मानचित्रण की परियोजना (Human Atlas Initiative)
“Light House Effect” -औपचारिक क्षेत्र में वेतन वृद्धि और न्यूनतम वेतन के बीच सम्बन्ध को दर्शाता है |
“चित्त आदंगल”– तमिलनाडु में ये भूमि सम्बंधित रिकॉर्ड होते है|
“कवचुआह रोपई विरासत स्थल” -यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा चिह्नित मिजोरम राज्य का पहला विरासत स्थल है |
“INSTEX”– ईरान और यूरोपियन यूनियन के बीच वित्तीय व्यापार तंत्र
“विज़न जीरो सम्मलेन(Vision Zero Summit)” -व्यावसायिक सुरक्षा और एवं स्वास्थ्य सम्मलेन
“बंगरु ब्लॉक प्रिंटिंग” -राजस्थान
थ्वैट्स हिमनद(Thwaits Glaciers)-अंटार्कटिका
“संगराई नृत्य” -त्रिपुरा
“शीथ ब्लाइट” -चावल के पौधे को नुकसान पहुंचाने वाला कवक रोग है|
“लक्ष्य” -यह प्रसूति कक्ष और मातृत्व ऑपेरशन थिएटर में देखभाल की गुणवत्ता में सुधार हेतु शुरू किया गया है|
“आर्टेमिस”-यह चन्द्रमा पर नासा का नया मिशन है|
“कुदकमिया रँगनेकरी” – गोवा में पायी जाने वाली ततैया है|
“तमिल योमॅन”– पश्चिमी घाट में पायी गयी तितली की एक प्रजाति
“Microdots Technique” – वाहनों की पहचान से सम्बंधित
“कोमोडो द्वीप”-इण्डोनेशिआ में स्थित वह द्वीप दुर्लभ प्रजातियों के संरक्षण हेतु निवासियों के स्थानान्तण के लिए चर्चा में रहा |
“रामानुजन मशीन” -Isarael Institute of Technology के वैज्ञानिको ने भारतीय गणितज्ञ के नाम पर एक algorithm मशीन बनायीं है|
“Poly Oxim Gel” – कीटनाशकों से किसानो की सुरक्षा हेतु
“उत्कर्ष -2022” – RBI द्वारा विनियमन और पर्यवेक्षण में सुधार हेतु प्रस्तावित एक रोडमैप
“मियावाकी पद्धति” – यह वृक्षारोपण की एक जापानी पद्धति है
“हगीबीस” – जापान में आया टाइफून (एक उष्णकटिबंधी चक्रवात)
“बायो रॉक तकनीक”– प्रवालो के पुनर्स्थापन से सम्बंधित (समुद्री जल में निम्न वोल्टेज वाली विद्युत् धारा प्रवाहित करके घुलित खनिज लवणों को स्टील को संरचनाओं पर क्रिस्टलीकरण किया जाता है|)
“डी-ट्रैक”– कुडनकुलम परमाणु संयंत्र पर हुआ साइबर हमला
“बैंक रन” – घबराहट की स्थिति में बड़ी संख्या में लोगो द्वारा बैंको में अपने खातों से धन निकासी करना
“फॉर्डो संयंत्र” -ईरान का परमाणु संयंत्र
“स्ट्रैड हॉग” – एंड्राइड सिस्टम में पाए जाने वाला एक बग है |
“ऑपरेशन क्लीन आर्ट” – नेवलों के बालों के अवैध व्यापार
“Torrefaction” – जैव द्रव्यमान को कोयले जैसी सामग्री में परिवर्तित करने के लिए एक तापीय प्रक्रिया है|
“वाइट आइलैंड” – न्यूजीलैंड स्थित एक ज्वालामुखी द्वीप|
“अनिवार्य प्रथाओं का सिद्धांत” -यह सबरीमाला मंदिर में प्रवेश से सम्बंधित जुड़ा मामला है|
“क्षमता की कमी” शब्द का प्रयोग गरीबी के अनुमान लगाने में किया जाता है|
“क्रोनोस होप्लाइट” -यह एक ट्रोजन प्रोग्राम है ,जो इंटरनेट पर किसी फाइल के साथ अटैच होता है और फिर जब किसी यूजर द्वारा उस फाइल को डाउनलोड किया जाता है तो यह उसके सिस्टम से जानकारी हैकर को भेजता है|
भारत वन स्थिति रिपोर्ट को वर्ष 1987 से ‘भारतीय वन सर्वेक्षण’ द्वारा द्विवार्षिक आधार पर प्रकाशित किया जा रहा है और इस श्रेणी की 16वीं यह रिपोर्ट है।
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*सर्वाधिक वन वृद्धि वाले राज्य क्रमशः है –कर्नाटक>आँध्रप्रदेश>केरल>जम्मू & कश्मीर >हिमाचल प्रदेश
कुल वन और वृक्ष आवरण क्षेत्र का 65.05 % उत्तर पूर्वी(North Eastern) राज्यों में है| लेकिन यहाँ वनावरण क्षेत्र में 765 sqKM(0.45%) की कमी आयी है असम और त्रिपुरा को छोड़कर बाकी सभी राज्यों में कमी दर्ज की गयी है|वनो का प्रतिशत उत्तर पूर्वी राज्यों में- मिजोरम(85.41%)>अरुणाचल प्रदेश(79.63%)>मेघालय(76.33%)
**मैंग्रोव वनों में की 54 sqKM (1.10%)वृद्धि दर्ज की गयी है भारत में मैंग्रोव वन का क्षेत्रफल कुल 4975 sqKM है जो की भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 0.15% है|
मैंग्रोव वन दुनिया के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रो में समुद्री तटों के किनारे डेल्टाई क्षेत्रों में पाए जाते है।इनकी जड़े पानी के बाहर निकली हुई होती है तथा ये समुद्री खारे पानी को सहन करने की क्षमता रखते है,ये जैव विविधता की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण होते है।
**आर्द्रभूमि(Wetlands) का क्षेत्रफल 3.83% है (आर्द्रभूमि में गुजरात पहले स्थान पर है इसके बाद पश्चिम बंगाल )
निम्नलिखित राज्यों में वन क्षेत्रफलों में कमी दर्ज की गयी है । मणिपुर>अरुणाचल प्रदेश>मिजोरम
**सर्वाधिक वन आवरण वाले राज्य – मध्य प्रदेश>अरुणाचल प्रदेश >छत्तीसगढ़ >ओडिशा>महाराष्ट्र
*देश में बांस का आवरण 16 मिलियन हेक्टेयर है| जिसमे 2017 की तुलना में 0.32 मिलियन हेक्टेयर की वृद्धि दर्ज की गयी है सर्वाधिक बांस आच्छादित क्षेत्र –मध्यप्रदेश >महाराष्ट्र>अरुणाचल प्रदेश>ओडिशा
सर्वाधिक प्रजाति विविधता वाले राज्य – पेड़(Tree)-कर्नाटक छोटी झाड़ियों(Shrubs)-अरुणाचल प्रदेश जड़ी-बूटी(Herbs)- जम्मू-कश्मीर
According to the Global Forest Resource Assessment (FRA) done by Food and Agriculture Organisation (FAO) once every five years, India has 2% of the Global forest area, standing at 10th position among the top ten countries in respect of forest area. Russia Federation has 20% of the global forest cover.
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ज्वालामुखी भूपटल पर वह प्राकृतिक छेद या दरार है जिससे होकर पृथ्वी के अन्दर का मैग्मा पिघला हुआ या अर्ध-पिघला हुआ प्राकृतिक पदार्थ , गैस या भाप, राख इत्यादि बाहर निकलते हैं. पृथ्वी के अन्दर का पिघला पदार्थ, जो ज्वालामुखी से बाहर निकलता है, लावा (Lava) कहलाता है. यह बहुत ही गर्म,तरल और लाल रंग का होता है. लावा जमकर ठोस और काला हो जाता है जो बाद में जाकर ज्वालामुखी-चट्टान के नाम से जाना जाता है.जिससे सभी आग्नेय चट्टानें(Igneous Rock) बनती हैं।
नीचे दिए गए चित्र के माध्यम से समझने का प्रयत्न करते है |
क्रेटर ज्वालामुखी का मुख होता है जो बंद होने पर वर्षा का पानी एकत्रित कर एक प्राकृतिक झील का निर्माण करता है |
ज्वालामुखी तीन प्रकार के होते है |
सक्रिय ज्वालामुखी(Active Volcano)
शांत या सुषुप्त ज्वालामुखी(Dormant Volcano)
मृत ज्वालामुखी(Extinct Volcano)
सक्रिय ज्वालामुखी(Active Volcano)– वे ज्वालामुखी होते है जिनमे हमेशा उद्गार होता रहता है अर्थात फटते रहते है | उदाहरण, इक्वाडोर का “कोटोपैक्सी”(विश्व का सबसे ऊँचा) इटली का एट्ना, भूमध्य सागर का स्ट्राम्बोली,अंटार्टिका का एकमात्र “एरबुस” और भारत का एकमात्र “बैरन” (नारकोंडम द्वीप ,अंडमान )
शांत ज्वालामुखी(Dormant Volcano)– वे ज्वालामुखी होते है जो बहुत ही लम्बे अंतराल के बाद फटते है ये अंतराल सैकड़ो वर्षो से हजारों वर्षो तक का हो सकता है | उदाहरण, इटली का विसुवियस, जापान का Mt. फ़्युजियामा(हाल ही वैज्ञानिको के जारी एक रिपोर्ट में इसके फटने की संभावना जताई गयी है |)
मृत ज्वालामुखी(Extinct Volcano)- वे ज्वालामुखी होते है जिनमे हजारों वर्षो से कोई उद्गार नहीं हुआ हो और निकट भविष्य में भी उद्गार की कोई संभावना न हो | केन्या का Mt. किलिमंजारो,इक्वाडोर का चिम्बोराजो,म्यंमार का पोपा और एंडीज पर्वतमाला पर स्थित एकांकागुआ |
भारतीय संविधान में निहित कई सारे प्रावधानों को विदेशी स्रोत से अपनाया गया है – जैसे -मूल अधिकार – संयुक्त राज्य अमेरिका से आदि | आइये इसे मैप के माध्यम से समझते है-
Europe gray map isolated on white background
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एशिया सबसे बड़ा महाद्वीप है । और 6 भागों में विभाजित है ।
उत्तरी एशिया
दक्षिणी एशिया
पश्चिमी एशिया
पूर्वी एशिया
मध्य एशिया
दक्षिण पूर्वी एशिया
भारत दक्षिण एशिया में आता है ।
मैप देखकर इन भाग में आने वाले देशों के नाम लिख लीजिये।
एशिया में रूस में साइबेरिया का रेगिस्तान स्थित है और यह एक ठंडा रेगिस्तान है तथा दुनिया के सबसे लम्बी रेलवे लाइन इसी रेगिस्तान से होकर गुजरती है जो सेंट पिट्सबर्ग से रुस के एकदम पूर्वी छोर व्लादिवोस्तोक तक जाती है इसका नाम ट्रांस साइबेरियन रेलवे है जो लगभग 9,289 km लम्बा है । यहाँ से ठंडी हवाएं मंगोलिया और चीन होते हुए भारत की तरफ आती है परन्तु हिमालय के होने के वजह से ये हवाएं भारत में प्रवेश नहीं कर पाती। यही से हर वर्ष लाखों की संख्या में साइबेरियन क्रेन पक्षी भारत प्रवास करने आते है ।
रेगिस्तानों में मंगोलिया का गोबी डेजर्ट,चीन का तकला माकन,अरब का अल नफूद और दश्त-ए -लूट,भारत में थार का रेगिस्तान,पामीर का पठार तथा तिब्बत का पठार शामिल है – तिब्बत के पठार से एशिया की कुल जल आपूर्ति (60 प्रतिशत) यहाँ से निकलने वाली नदियाँ करती है| यही से एशिया की सबसे लम्बी नदी यांग्त्सीक्यांगनिकलती है तथा भारत की नदी सिंधु ,सतलज, तथा ब्रह्मपुत्र आदि नदियाँ भी यही से निकलती है ब्रह्मपुत्र को तिब्बत में सांगपो कहा जाता है । ये पूर्ववर्ती नदियाँ है अर्थात ये हिमालय के निर्माण के पहले से है । इराक में दजला फरात(Euphrates Tigris) नदी,म्यांमार में साल्वीन ,इरविन तथा चिंदविन नदी,मध्य एशिया में सर दरया और अमु दरया नदी,झीलों में रूस की बैकाल झील जो दुनिया की सबसे गहरी झील है तथा मीठे पानी का 20 प्रतिशत स्रोत है ।मध्य एशिया में अराल सागर जो अब लगभग सुख चूका है । ईरान में उर्मिया झील जो खारे पानी की झील है, वान झील जो तुर्की में स्थित है ,दुनिया की सबसे खारे पानी की झील है इस झील की लवणता 330 है ।तथा इजराइल और जॉर्डन की सीमा पर स्थित डेड सी जो एशिया का सबसे गहनतम बिंदु है ,दुनिया का सबसे उच्चतम बिंदु एशिया में Mt. एवेरस्ट है जो नेपाल और चीन की सीमा पर स्थित है, नेपाल में इसे सागरमाथा कहते है ।
इस टॉपिक में हम अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप के बारे में उपरोक्त तथ्यों को जानेंगे
केवल अफ्रीका ऐसा महाद्वीप है जहा से कर्क रेखा ,विषुवत रेखा और मकर रेखा तीनों गुजरती है|
अफ्रीका महाद्वीप में संसार का सबसे बड़ा मरुस्थल (Desert) सहारा स्थित है । इसके अतिरिक्त साहेल और कालाहारी रेगिस्तान है नदियों में मुख्य रूप से संसार के सबसे लम्बी नदी नील है । तथा नाइज़र नदी,कांगो नदी (विषुवत रेखा को दो बार काटने वाली),लिंपोपो नदी (मकर रेखा को दो बार काटने वाली),जाम्बेजी नदी,ऑरेंज नदी आदि प्रमुख है। झीलों में विक्टोरिया झील जहां से नील नदी का उद्गम होता है । मलावी झील ,टंगनिका झील ,न्यासा झीलऔर चाड झील आदि प्रमुख है ।
अफ्रीका महाद्वीप में उष्ण कटिबंधीय घास के मैदान को “सवाना” कहा जाता है , तथा इसके देश दक्षिण अफ्रीका में घास के मैदानों को “वेल्ड” कहा जाता है।
अफ्रीका के स्थानीय हवाओं में हरमट्टन,खमसिन ,हबूब ,केप डॉक्टर ,शिराको आदि शामिल है ।
ऑस्ट्रेलिया(Australia)
तथ्यों को नोट्स में लिख ले और मैपिंग के द्वारा याद करे।यहाँ आनेवाले चक्रवात को विलिविली कहा जाता है ।
सारा ब्रह्माण्ड कई रहस्यमयी शक्तियों से भरा पड़ा है उन्ही में से एक पृथ्वी है जिस पर कई प्रकार के बल कार्यरत है पृथ्वी के संरचना के बारे में वर्षों से शोध चल रहे है कि इसका निर्माण कैसे हुआ,किन तत्वों से हुआ | क्या इसका वर्तमान स्वरुप पहले जैसा ही है या इसमें कुछ बदलाव आये है | आइये इस टॉपिक में हम जानेंगे की पृथ्वी का स्थलमंडल आखिर पहले भी ऐसा था या नहीं और अगर ऐसा नहीं था तो कैसा था और इतने बड़े बड़े महाद्वीप कैसे बने और उनका भूकंप या सुनामी से क्या लेना देना है |
प्रो. अल्फ्रेड वेगनर जर्मनी के एक प्रसिद्ध जलवायुवेत्ता तथा भूगर्भशास्त्री थे। वेगनर ने 1912 में महाद्वीपीय विस्थापन के सिद्धांत की परिकल्पना प्रस्तुत की |वेगनर का मानना था कि कार्बनिफेरस युग में समस्त स्थल भाग आपस में एक पिंड के रूप में संलग्न थे इस स्थल खंड को पैंजिया(Pangea) नाम दिया गया। पैंजिया के चारों ओर एक विशाल जल भाग था, जिसका नाम वेगनर ने पैंथालासा(Panthalase) के रूप में किया। वेगनर के अनुसार लगभग 20 करोड़ वर्ष पहले यह पैंजिया दो बड़े स्थलखंडो गोंडवानालैंड और लारेशिया में बंट गया और फिर सात महाद्वीपों में विभक्त हो गया |
Earth Before Continental Drift
इसका उन्होंने महाद्वीपों के एक दूसरे के साथ फिट होने जैसी संरचना तथा दो महाद्वीपों के तटों पर प्राप्त समान जीवाश्मों का तर्क दिया | पर वह महाद्वीपों के खिसकने और उस बल को नहीं समझा पाए |
Breaking into Seven Continent
इसके बाद वर्ष 1967 में मैकेन्जी पारकर और मोरगन एक अवधारणा प्रस्तुत की, जिसे प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत(Plate Tectonic Theory) कहा गया। प्लेट विवर्तनिक एक विशाल ठोस अनियमित चट्टान का खंड है जो महासागरीय या महाद्वीपीय दोनों हो सकता है यह इस बात पर निर्भर करता है कि प्लेट का अधिकतम हिस्सा कहा स्थित है महासागर में या महाद्वीप में | जैसे- प्रशांत प्लेट मुख्यतः महासागरीय प्लेट है, जबकि यूरेशियाई प्लेट को महाद्वीपीय प्लेट कहा जाता है।
इस सिद्धांत में प्लेट(Plate) शब्दावली का सबसे पहले उपयोग कनाडा के भू-वैज्ञानिक टूजो विल्सन ने किया था। विल्सन के अनुसार पृथ्वी का क्रस्ट(crust) अलग अलग प्लेटों में विभक्त है, जो दुर्बलता मंडल पर क्षैतिज दिशा में गतिमान (floating)है |
इस सिद्धांत में प्लेट शब्दावली का सबसे पहले उपयोग कनाडा के भू-वैज्ञानिक टूजो विल्सन ने किया था। विल्सन के अनुसार पृथ्वी का क्रस्ट अलग अलग प्लेटों में विभक्त है, जो दुर्बलता मंडल पर क्षैतिज दिशा में गतिमान है | अब ये दुर्बलता मंडल क्या है आइये इसे जानते है पृथ्वी को आंतरिक रूप से चार भागों में विभाजित किया जाता है | भू-पर्पटी (Crust),मेन्टल(Mantle),बाह्य कोर (outer core),आंतरिक कोर(Inner Core)|
पृथ्वी के मेंटल का वह खंड जो लचीले लक्षणों का प्रदर्शन करता है। दुर्बलतामंडल स्थल मंडल के नीचे 100 से 200 कि-मी- के बीच अवस्थित होता है। नीचे दिए चित्र से इसे समझे –
Outer Core is in liquid form and Inner Core is Solid form.
देखिये प्लेट एक दूसरे के साथ कैसे जुड़ती या खिसकती है |
इन दोनों ही घटनाओं से अपार बल उत्पन्न होता है जिससे भूकंप या सुनामी जैसे घटनाएं होती है जैसा कि चित्र में आप देख रहे है कि जब दो महासागरीय प्लेट एक दूसरे से दूर जा रही है इस प्रक्रिया से उत्पन्न बल महासागर में सुनामी उत्पन्न करता है |
प्लेटो की आपस में टकराने और खिसकने की प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है|तथा महाद्वीप अब भी खिसक रहे है परन्तु बहुत धीमी गति से | उदाहरण – अफ्रीका